Sharad Purnima 2025: कब, पूजा विधि, महत्व और खास बातें
भारत में हर पूर्णिमा का अपना एक अलग महत्व होता है, लेकिन शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) को सबसे विशेष और पवित्र माना गया है। यह दिन देवी लक्ष्मी की आराधना, चांदनी की रोशनी और खीर के प्रसाद के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ पृथ्वी पर अमृत बरसाता है।
Somya
October 07, 2025
Updated 11:20 pm
प्रसिद्ध है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ पृथ्वी पर अमृत बरसाता है।
आइए जानते हैं — Sharad Purnima 2025 कब है, पूजा विधि क्या है, इसका धार्मिक महत्व क्या माना गया है और आखिर खीर को खुले आसमान के नीचे क्यों रखा जाता है।
Sharad Purnima 2025 कब है?
शरद पूर्णिमा 2025 की तिथि: सोमवार, 6 अक्टूबर 2025
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 6 अक्टूबर को सुबह 3:16 बजे पूर्णिमा तिथि समाप्त: 7 अक्टूबर को सुबह 2:50 बजे
इस दिन रात को चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ आकाश में चमकता है, जिसे साल की सबसे सुंदर पूर्णिमा माना जाता है।
Sharad Purnima का महत्व
हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। "कोजागरी" का अर्थ होता है — कौन जाग रहा है? ऐसा कहा जाता है कि इस रात मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो व्यक्ति जागकर उनका पूजन करता है, उस पर देवी लक्ष्मी अपनी कृपा बरसाती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चंद्रमा की रोशनी में अमृत तत्व होता है जो शरीर और मन दोनों के लिए फायदेमंद माना गया है। इसीलिए इस दिन खीर को चांदनी में रखा जाता है ताकि वह “अमृत तुल्य” हो जाए।
Sharad Purnima 2025 की पूजा विधि
शरद पूर्णिमा के दिन सुबह से ही श्रद्धालु देवी लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा करते हैं। नीचे दी गई है आसान पूजा विधि (Puja Vidhi):
सुबह स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
घर में लक्ष्मी जी की प्रतिमा को पूर्व दिशा में स्थापित करें।
पूजा स्थल को फूलों और दीपक से सजाएं।
घी का दीपक जलाएं और लक्ष्मी माता को खीर, फल, और मिष्ठान का भोग लगाएं।
मंत्र जाप करें: “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः”
रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य दें – दूध, जल और फूलों से।
इसके बाद खीर को खुले आसमान के नीचे रखें ताकि वह चांदनी की किरणों से पवित्र हो जाए।
अगली सुबह परिवार के साथ इस खीर का प्रसाद रूप में सेवन करें।
खीर को खुले आसमान के नीचे क्यों रखा जाता है?
यह सवाल बहुत लोगों के मन में आता है कि शरद पूर्णिमा की रात खीर को बाहर क्यों रखा जाता है? इसका कारण धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, चंद्रमा अमृत का प्रतीक है। शरद पूर्णिमा की रात उसकी किरणों में अमृत तत्व होता है, जो खीर को पवित्र बना देता है।
वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो, इस रात वातावरण में नमी और ठंडक अधिक होती है। चांदनी की रोशनी से खीर में ठंडक और शुद्धता आती है, जो शरीर के लिए लाभकारी होती है।
इसलिए इस रात बनी खीर को अमृत खीर कहा जाता है।
Sharad Purnima से जुड़े धार्मिक किस्से
श्रीकृष्ण और रासलीला: कहा जाता है कि इसी रात भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में गोपियों के साथ रास रचाया था।
लक्ष्मी पूजा: इस दिन माता लक्ष्मी घर-घर भ्रमण करती हैं और देखती हैं कि कौन जाग रहा है।
चंद्रमा और अमृत: पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत का संबंध भी इसी पूर्णिमा से जोड़ा गया है।
Sharad Purnima का वैज्ञानिक महत्व
इस दिन रातें लंबी और ठंडी होती हैं, जिससे शरीर पर चंद्रकिरणों का सीधा प्रभाव पड़ता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रमा की किरणों में विटामिन D और कूलिंग एनर्जी होती है।
इसलिए इस रात खुले में बैठकर ध्यान लगाना और चांदनी स्नान करना भी बहुत लाभदायक माना गया है।
Sharad Purnima के शुभ कार्य
इस दिन दान-पुण्य करना बेहद शुभ होता है।
गरीबों को खीर, कपड़े या धन का दान करने से लक्ष्मी कृपा प्राप्त होती है।
इस रात जागरण कर "लक्ष्मी चालीसा" या "श्री सूक्त" का पाठ करना भी अत्यंत फलदायी होता है।
Sharad Purnima 2025 के शुभ मुहूर्त
लक्ष्मी पूजन मुहूर्त: 6 अक्टूबर 2025 को रात 8:30 बजे से 10:15 बजे तक
चंद्र दर्शन का समय: रात 11:45 बजे के बाद
अर्घ्य देने का सर्वोत्तम समय: 11:50 PM से 12:30 AM तक
निष्कर्ष
शरद पूर्णिमा सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा और वैज्ञानिकता का संगम है। यह दिन हमें बताता है कि प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर जीवन को संतुलित किया जा सकता है। लक्ष्मी माता की आराधना, चंद्रमा की पूजा और खीर का अमृत सेवन – यह सब मिलकर इस दिन को सुख, शांति और समृद्धि का प्रतीक बना देते हैं।
Q2. इस दिन किस देवी की पूजा की जाती है? Ans- मां लक्ष्मी और चंद्रदेव की विशेष पूजा की जाती है।
Q3. Sharad Purnima पर खीर क्यों बनाई जाती है? Ans- यह मान्यता है कि इस रात चांदनी में अमृत तत्व होता है, जिससे खीर पवित्र और लाभकारी बन जाती है।
Q4. Sharad Purnima को क्या कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है? Ans- हाँ, इसे कोजागरी पूर्णिमा कहा जाता है क्योंकि इस दिन मां लक्ष्मी "कौन जाग रहा है" पूछती हैं।
Q5. Sharad Purnima की रात क्या करना शुभ होता है? Ans- जागरण करना, खीर को चांदनी में रखना, चंद्रमा को अर्घ्य देना और लक्ष्मी माता की आराधना करना बहुत शुभ होता है।